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Henry ford biography

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हेनरी फोर्ड की जीवनी  हेनरी फोर्ड / Henry Ford एक अमेरिकन उद्योगपति, फोर्ड मोटर कंपनी के संस्थापक और मास (Mass) उत्पादन असेंबली लाइन के स्पोंसर भी थे। फोर्ड ने पहली ऑटोमोबाइल कंपनी विकसित की और निर्मिती भी की जिसे अमेरिका के मध्यम वर्गीय लोग भी आसानी से ले सकते थे। उनके द्वारा निर्मित ऑटोमोबाइल कंपनी को उन्ही के उपनाम पर रखा गया था और जल्द ही इस कंपनी ने पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना ली और साधारण ऑटोमोबाइल कंपनी ने जल्द ही बहुमूल्य कार बनाना शुरू किया और 20 वी शताब्दी में अपनी एक प्रभावशाली छाप छोड़ी। इसके बाद उन्होंने मॉडल टी नामक गाड़ी निकाली जिसने यातायात और अमेरिकी उद्योग में क्रांति ला दी।                   फोर्ड कंपनी के मालक होने के साथ ही दुनिया के सबसे धनि और समृद्ध लोगो में से एक थे। उन्हें “फोर्डीजम” की संज्ञा भी दी गयी थी। फोर्ड अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी व्यापकता को बढ़ाना चाहती थी इसीलिए उन्होंने अपनी गाडियों की कीमतों में कमी कर बहुत से ग्राहकों को आकर्षित भी किया था। इसके बाद फोर्ड की फ्रेंचाईसी भी उत्तरी अमेरिका...

आज ही क्यों नहीं ?

एक बार की बात है कि एक शिष्य अपने गुरु का बहुत आदर-सम्मान किया करता था |गुरु भी अपने इस शिष्य से बहुत स्नेह करते थे लेकिन वह शिष्य अपने अध्ययन के प्रति आलसी और स्वभाव से दीर्घसूत्री था |सदा स्वाध्याय से दूर भागने की कोशिश करता तथा आज के काम को कल के लिए छोड़ दिया करता था | अब गुरूजी कुछ चिंतित रहने लगे कि कहीं उनका यह शिष्य जीवन-संग्राम में पराजित न हो जाये|आलस्य में व्यक्ति को अकर्मण्य बनाने की पूरी सामर्थ्य होती है |ऐसा व्यक्ति बिना परिश्रम के ही फलोपभोग की कामना करता है| वह शीघ्र निर्णय नहीं ले सकता और यदि ले भी लेता है,तो उसे कार्यान्वित नहीं कर पाता| यहाँ तक कि अपने पर्यावरण के प्रति भी सजग नहीं रहता है और न भाग्य द्वारा प्रदत्त सुअवसरों का लाभ उठाने की कला में ही प्रवीण हो पता है | उन्होंने मन ही मन अपने शिष्य के कल्याण के लिए एक योजना बना ली |एक दिन एक काले पत्थर का एक टुकड़ा उसके हाथ में देते हुए गुरु जी ने कहा –‘मैं तुम्हें यह जादुई पत्थर का टुकड़ा, दो दिन के लिए दे कर, कहीं दूसरे गाँव जा रहा हूँ| जिस भी लोहे की वस्तु को तुम इससे स्पर्श करोगे, वह स्वर्ण में परिवर्तित हो जायेग...

नेपोलियन के बुलंद होसलों की कहानी

मुसीबते हमारी ज़िंदगी की एक सच्चाई है। कोई इस बात को समझ लेता है तो कोई पूरी ज़िंदगी इसका रोना रोता है। ज़िंदगी के हर मोड़ पर हमारा सामना मुसीबतों(problems) से होता है. इसके बिना ज़िंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती। अक्सर हमारे सामने मुसीबते आती है तो तो हम उनके सामने पस्त हो जाते है। उस समय हमे कुछ समझ नहीं आता की क्या सही है और क्या गलत। हर व्यक्ति का परिस्थितियो को देखने का नज़रिया अलग अलग होता है। कई बार हमारी ज़िंदगी मे मुसीबतों का पहाड़ टूट पढ़ता है। उस कठिन समय मे कुछ लोग टूट जाते है तो कुछ संभाल जाते है। मनोविज्ञान के अनुसार इंसान किसी भी problem को दो तरीको से देखता है; 1 problem पर focus करके(problem focus peoples) 2 solution पर focus करके(solution focus peoples) Problem focus peoples अक्सर मुसीबतों मे ढेर हो जाते है। इस तरीके के इंसान किसी भी मुसीबत मे उसके हल के बजाये उस मुसीबत के बारे मे ज्यादा सोचते है। वही दूसरी ओर solution focus peoples मुसीबतों मे उसके हल के बारे मे ज्यादा सोचते है। इस तरह के इंसान मुसीबतों का डट के सामना करते है। दोस्तो आज मै आपके साथ एक महान solution...

alexander sikandar story जो जीता वही सिकंदर

जो जीता वही सिकंदर, मालूम नही ये मुहावरा किसने दिया होगा लेकिन इसके शब्दों पर गौर करे तो ये मुहावरा गलत है सच में तो sikandar जीता ही नही था बल्कि हार गया था. दरअसल जिस महान युद्ध में सिकंदर (sikandar) के जितने की बात कही जाती है उसमे वो हार गया था। उस युद्ध का विजेता “पोरस” था सिकंदर (sikandar) पुरे संसार को जितने का सपना लिए भारत आया था और एक के बाद एक लड़ाई जीतता गया वो पुरे विश्व पर अपना कब्ज़ा चाहता था उसके इतनी द्वारा लड़ाईया जीतने के बाद इतिहासकार इस बात को मानने के लिए तैयार नही है की वो पोरस के साथ युद्ध में हार गया था और पुरे भारत में ये बात फ़ैल गई की सिकंदर जीत गया है. सिकन्दर (sikandar) ने हार के बाद सोचा की युद्ध से उसे क्या हासिल हुआ? हार? नही, उस हार ने उसकी सोच बदल दी.और असल में उसकी जीत युद्ध हारने के बाद शुरू हुई. एक दिन सिकंदर बहुत बिमार हो गया और एक शाम मर गया। जब उसकी अंतिम यात्रा में उसकी अर्थी से दोनों हाथ बहार थे, और इसकी अर्थी को देखने के लिए बहुत लोग आए और उन्होंने कहा की ये तो हमारे महान शासक का अपमान है लेकिन पता चला की ऐसी इच्छा सिकंदर की ही थी, कि उसकी अंतिम...

विजेता मेंढक

बहुत समय पहले की बात है एक सरोवर में बहुत सारे मेंढक रहते थे . सरोवर के बीचों -बीच एक बहुत पुराना धातु का खम्भा भी लगा हुआ था जिसे उस सरोवर को बनवाने वाले राजा ने लगवाया था . खम्भा काफी ऊँचा था और उसकी सतह भी बिलकुल चिकनी थी . एक दिन मेंढकों के दिमाग में आया कि क्यों ना एक रेस करवाई जाए . रेस में भाग लेने वाली प्रतियोगीयों को खम्भे पर चढ़ना होगा , और जो सबसे पहले एक ऊपर पहुच जाएगा वही विजेता माना जाएगा . रेस का दिन आ पंहुचा , चारो तरफ बहुत भीड़ थी ; आस -पास के इलाकों से भी कई मेंढक इस रेस में हिस्सा लेने पहुचे . माहौल में सरगर्मी थी , हर तरफ शोर ही शोर था . रेस शुरू हुई … …लेकिन खम्भे को देखकर भीड़ में एकत्र हुए किसी भी मेंढक को ये यकीन नहीं हुआकि कोई भी मेंढक ऊपर तक पहुंच पायेगा … हर तरफ यही सुनाई देता … “ अरे ये बहुत कठिन है ” “ वो कभी भी ये रेस पूरी नहीं कर पायंगे ” “ सफलता का तो कोई सवाल ही नहीं , इतने चिकने खम्भे पर चढ़ा ही नहीं जा सकता ” और यही हो भी रहा था , जो भी मेंढक कोशिश करता , वो थोडा ऊपर जाकर नीचे गिर जाता , कई मेंढक दो -तीन बार गिरने के बावजूद अपने प...

वह करो जो आप करना चाहते हो

आज राजेश और पल्लवी के घर ख़ुशी का माहौल था और हो भी क्यों नहीं आज 5 साल बाद उनके घर बेटे का जन्म जो हुआ है | दोनों उसका नाम सोचने में लग गए और finally उसका नाम रखा गया लक्ष्य | राजेश और पल्लवी अपनी संतान के बारे में कई सपने भी देख रखे हैं वो दोनों ने पहले से ही सोच रखा है वो अपने बेटे को Doctor बनाएंगे | जैसे ही लक्ष्य 4 साल का हुआ उसका admission शहर के अच्छे School में करा दिया गया | लक्ष्य बचपन से ही बहुत ही अच्छी Painting बनाता | किसी को यकीन ही नहीं होता की ये पेंटिंग 4 साल के बच्चे ने बनायीं है | लक्ष्य पढ़ने में भी बहुत अच्छा था | हमेशा Class में 1st आता | क्लास 11 में उसे subjects select करने थे | न चाहते हुए भी उसे biology लेनी पढ़ी . क्यों की उसके parents चाहते थे की वह doctor बने , पर वह एक painter बनना चाहता था . लक्ष्य ने अपने पेरेंट्स से बात भी , की वह doctor नहीं बनना चाहता | पर उसके पेरेंट्स ने साफ साफ कह दिया वो उसे पेंटिंग में अपना Future खराब नहीं करने देंगे | मज़बूरी मे लक्ष्य को अपने पेरेंट्स की बात मन्नी पढ़ी | लक्ष्य का पढ़ाई में प्रदर्शन पहले से कुछ खराब हो गया . क्ला...

हर समस्या का समाधान है – Every Lock has a key

एक समय की बाdonkey-storyत है एक व्यक्ति के पास एक गधा ( Donkey )था| एक दिन वह गधा Donkey गड्ढे में गिर गया जब बहुत कोशिश करने के बाद भी वह गधा गढ्ढे से बाहर नहीं निकल पाया ,तो उस व्यक्ति ने Decide किया की, इस गधे को यही दफना दिया जाए | और ऐसा सोचकर उस व्यक्ति ने उस गधे के ऊपर मिटटी डालनी शुरू कर दी कुछ देर तो गधा शांत बैठा रहा पर जैसे ही उसके ऊपर ज़्यदा बोझ होने लगा तो उसने मिटटी अपने ऊपर से झाड़ दी , मिटटी के नीचे आने पर गधा मिटटी के ऊपर चढ़ गया | ऐसा कुछ समय करते करते गधा गढ्डे के ऊपर आ गया और फिर गढ्डे से बहार निकल गया | दोस्तों हमारे पास भी उस गधे की तरह २ choice होती है 1 – या तो हम problem रूपी मिटटी के नीचे दब जाए mean कोई भी problem आने पर उसी के बारे में सोचते रहे और परेशां होते रहे| 2 – या उस Problem रूपी मिटटी को सीडी बनाकर ऊपर की तरफ बढे दोस्तों ज़िंदगी में कुछ न कुछ तो होता ही रहता है हमें चाहिए की हर प्रॉब्लम से सीखे और ज़िंदगी को खुशनुमा बनाए| problem तो हर किसी के जीवन में आती हैं पर हमारी सफलता और असफलता इसी बात पर depend करती है की उस प्रॉब्लम को हम deal कैसे करते हैं |क्...