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Showing posts from 2020

Henry ford biography

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हेनरी फोर्ड की जीवनी  हेनरी फोर्ड / Henry Ford एक अमेरिकन उद्योगपति, फोर्ड मोटर कंपनी के संस्थापक और मास (Mass) उत्पादन असेंबली लाइन के स्पोंसर भी थे। फोर्ड ने पहली ऑटोमोबाइल कंपनी विकसित की और निर्मिती भी की जिसे अमेरिका के मध्यम वर्गीय लोग भी आसानी से ले सकते थे। उनके द्वारा निर्मित ऑटोमोबाइल कंपनी को उन्ही के उपनाम पर रखा गया था और जल्द ही इस कंपनी ने पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना ली और साधारण ऑटोमोबाइल कंपनी ने जल्द ही बहुमूल्य कार बनाना शुरू किया और 20 वी शताब्दी में अपनी एक प्रभावशाली छाप छोड़ी। इसके बाद उन्होंने मॉडल टी नामक गाड़ी निकाली जिसने यातायात और अमेरिकी उद्योग में क्रांति ला दी।                   फोर्ड कंपनी के मालक होने के साथ ही दुनिया के सबसे धनि और समृद्ध लोगो में से एक थे। उन्हें “फोर्डीजम” की संज्ञा भी दी गयी थी। फोर्ड अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी व्यापकता को बढ़ाना चाहती थी इसीलिए उन्होंने अपनी गाडियों की कीमतों में कमी कर बहुत से ग्राहकों को आकर्षित भी किया था। इसके बाद फोर्ड की फ्रेंचाईसी भी उत्तरी अमेरिका...

आज ही क्यों नहीं ?

एक बार की बात है कि एक शिष्य अपने गुरु का बहुत आदर-सम्मान किया करता था |गुरु भी अपने इस शिष्य से बहुत स्नेह करते थे लेकिन वह शिष्य अपने अध्ययन के प्रति आलसी और स्वभाव से दीर्घसूत्री था |सदा स्वाध्याय से दूर भागने की कोशिश करता तथा आज के काम को कल के लिए छोड़ दिया करता था | अब गुरूजी कुछ चिंतित रहने लगे कि कहीं उनका यह शिष्य जीवन-संग्राम में पराजित न हो जाये|आलस्य में व्यक्ति को अकर्मण्य बनाने की पूरी सामर्थ्य होती है |ऐसा व्यक्ति बिना परिश्रम के ही फलोपभोग की कामना करता है| वह शीघ्र निर्णय नहीं ले सकता और यदि ले भी लेता है,तो उसे कार्यान्वित नहीं कर पाता| यहाँ तक कि अपने पर्यावरण के प्रति भी सजग नहीं रहता है और न भाग्य द्वारा प्रदत्त सुअवसरों का लाभ उठाने की कला में ही प्रवीण हो पता है | उन्होंने मन ही मन अपने शिष्य के कल्याण के लिए एक योजना बना ली |एक दिन एक काले पत्थर का एक टुकड़ा उसके हाथ में देते हुए गुरु जी ने कहा –‘मैं तुम्हें यह जादुई पत्थर का टुकड़ा, दो दिन के लिए दे कर, कहीं दूसरे गाँव जा रहा हूँ| जिस भी लोहे की वस्तु को तुम इससे स्पर्श करोगे, वह स्वर्ण में परिवर्तित हो जायेग...

नेपोलियन के बुलंद होसलों की कहानी

मुसीबते हमारी ज़िंदगी की एक सच्चाई है। कोई इस बात को समझ लेता है तो कोई पूरी ज़िंदगी इसका रोना रोता है। ज़िंदगी के हर मोड़ पर हमारा सामना मुसीबतों(problems) से होता है. इसके बिना ज़िंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती। अक्सर हमारे सामने मुसीबते आती है तो तो हम उनके सामने पस्त हो जाते है। उस समय हमे कुछ समझ नहीं आता की क्या सही है और क्या गलत। हर व्यक्ति का परिस्थितियो को देखने का नज़रिया अलग अलग होता है। कई बार हमारी ज़िंदगी मे मुसीबतों का पहाड़ टूट पढ़ता है। उस कठिन समय मे कुछ लोग टूट जाते है तो कुछ संभाल जाते है। मनोविज्ञान के अनुसार इंसान किसी भी problem को दो तरीको से देखता है; 1 problem पर focus करके(problem focus peoples) 2 solution पर focus करके(solution focus peoples) Problem focus peoples अक्सर मुसीबतों मे ढेर हो जाते है। इस तरीके के इंसान किसी भी मुसीबत मे उसके हल के बजाये उस मुसीबत के बारे मे ज्यादा सोचते है। वही दूसरी ओर solution focus peoples मुसीबतों मे उसके हल के बारे मे ज्यादा सोचते है। इस तरह के इंसान मुसीबतों का डट के सामना करते है। दोस्तो आज मै आपके साथ एक महान solution...

alexander sikandar story जो जीता वही सिकंदर

जो जीता वही सिकंदर, मालूम नही ये मुहावरा किसने दिया होगा लेकिन इसके शब्दों पर गौर करे तो ये मुहावरा गलत है सच में तो sikandar जीता ही नही था बल्कि हार गया था. दरअसल जिस महान युद्ध में सिकंदर (sikandar) के जितने की बात कही जाती है उसमे वो हार गया था। उस युद्ध का विजेता “पोरस” था सिकंदर (sikandar) पुरे संसार को जितने का सपना लिए भारत आया था और एक के बाद एक लड़ाई जीतता गया वो पुरे विश्व पर अपना कब्ज़ा चाहता था उसके इतनी द्वारा लड़ाईया जीतने के बाद इतिहासकार इस बात को मानने के लिए तैयार नही है की वो पोरस के साथ युद्ध में हार गया था और पुरे भारत में ये बात फ़ैल गई की सिकंदर जीत गया है. सिकन्दर (sikandar) ने हार के बाद सोचा की युद्ध से उसे क्या हासिल हुआ? हार? नही, उस हार ने उसकी सोच बदल दी.और असल में उसकी जीत युद्ध हारने के बाद शुरू हुई. एक दिन सिकंदर बहुत बिमार हो गया और एक शाम मर गया। जब उसकी अंतिम यात्रा में उसकी अर्थी से दोनों हाथ बहार थे, और इसकी अर्थी को देखने के लिए बहुत लोग आए और उन्होंने कहा की ये तो हमारे महान शासक का अपमान है लेकिन पता चला की ऐसी इच्छा सिकंदर की ही थी, कि उसकी अंतिम...

विजेता मेंढक

बहुत समय पहले की बात है एक सरोवर में बहुत सारे मेंढक रहते थे . सरोवर के बीचों -बीच एक बहुत पुराना धातु का खम्भा भी लगा हुआ था जिसे उस सरोवर को बनवाने वाले राजा ने लगवाया था . खम्भा काफी ऊँचा था और उसकी सतह भी बिलकुल चिकनी थी . एक दिन मेंढकों के दिमाग में आया कि क्यों ना एक रेस करवाई जाए . रेस में भाग लेने वाली प्रतियोगीयों को खम्भे पर चढ़ना होगा , और जो सबसे पहले एक ऊपर पहुच जाएगा वही विजेता माना जाएगा . रेस का दिन आ पंहुचा , चारो तरफ बहुत भीड़ थी ; आस -पास के इलाकों से भी कई मेंढक इस रेस में हिस्सा लेने पहुचे . माहौल में सरगर्मी थी , हर तरफ शोर ही शोर था . रेस शुरू हुई … …लेकिन खम्भे को देखकर भीड़ में एकत्र हुए किसी भी मेंढक को ये यकीन नहीं हुआकि कोई भी मेंढक ऊपर तक पहुंच पायेगा … हर तरफ यही सुनाई देता … “ अरे ये बहुत कठिन है ” “ वो कभी भी ये रेस पूरी नहीं कर पायंगे ” “ सफलता का तो कोई सवाल ही नहीं , इतने चिकने खम्भे पर चढ़ा ही नहीं जा सकता ” और यही हो भी रहा था , जो भी मेंढक कोशिश करता , वो थोडा ऊपर जाकर नीचे गिर जाता , कई मेंढक दो -तीन बार गिरने के बावजूद अपने प...

वह करो जो आप करना चाहते हो

आज राजेश और पल्लवी के घर ख़ुशी का माहौल था और हो भी क्यों नहीं आज 5 साल बाद उनके घर बेटे का जन्म जो हुआ है | दोनों उसका नाम सोचने में लग गए और finally उसका नाम रखा गया लक्ष्य | राजेश और पल्लवी अपनी संतान के बारे में कई सपने भी देख रखे हैं वो दोनों ने पहले से ही सोच रखा है वो अपने बेटे को Doctor बनाएंगे | जैसे ही लक्ष्य 4 साल का हुआ उसका admission शहर के अच्छे School में करा दिया गया | लक्ष्य बचपन से ही बहुत ही अच्छी Painting बनाता | किसी को यकीन ही नहीं होता की ये पेंटिंग 4 साल के बच्चे ने बनायीं है | लक्ष्य पढ़ने में भी बहुत अच्छा था | हमेशा Class में 1st आता | क्लास 11 में उसे subjects select करने थे | न चाहते हुए भी उसे biology लेनी पढ़ी . क्यों की उसके parents चाहते थे की वह doctor बने , पर वह एक painter बनना चाहता था . लक्ष्य ने अपने पेरेंट्स से बात भी , की वह doctor नहीं बनना चाहता | पर उसके पेरेंट्स ने साफ साफ कह दिया वो उसे पेंटिंग में अपना Future खराब नहीं करने देंगे | मज़बूरी मे लक्ष्य को अपने पेरेंट्स की बात मन्नी पढ़ी | लक्ष्य का पढ़ाई में प्रदर्शन पहले से कुछ खराब हो गया . क्ला...

हर समस्या का समाधान है – Every Lock has a key

एक समय की बाdonkey-storyत है एक व्यक्ति के पास एक गधा ( Donkey )था| एक दिन वह गधा Donkey गड्ढे में गिर गया जब बहुत कोशिश करने के बाद भी वह गधा गढ्ढे से बाहर नहीं निकल पाया ,तो उस व्यक्ति ने Decide किया की, इस गधे को यही दफना दिया जाए | और ऐसा सोचकर उस व्यक्ति ने उस गधे के ऊपर मिटटी डालनी शुरू कर दी कुछ देर तो गधा शांत बैठा रहा पर जैसे ही उसके ऊपर ज़्यदा बोझ होने लगा तो उसने मिटटी अपने ऊपर से झाड़ दी , मिटटी के नीचे आने पर गधा मिटटी के ऊपर चढ़ गया | ऐसा कुछ समय करते करते गधा गढ्डे के ऊपर आ गया और फिर गढ्डे से बहार निकल गया | दोस्तों हमारे पास भी उस गधे की तरह २ choice होती है 1 – या तो हम problem रूपी मिटटी के नीचे दब जाए mean कोई भी problem आने पर उसी के बारे में सोचते रहे और परेशां होते रहे| 2 – या उस Problem रूपी मिटटी को सीडी बनाकर ऊपर की तरफ बढे दोस्तों ज़िंदगी में कुछ न कुछ तो होता ही रहता है हमें चाहिए की हर प्रॉब्लम से सीखे और ज़िंदगी को खुशनुमा बनाए| problem तो हर किसी के जीवन में आती हैं पर हमारी सफलता और असफलता इसी बात पर depend करती है की उस प्रॉब्लम को हम deal कैसे करते हैं |क्...

बाज की उड़ान

एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया. कुछ दिनों बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमे से एक था.वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिटटी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीकी तरह चूँ-चूँ करता. बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता , और पंख फड़-फडाते हुए नीचे आ जाता . फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा, बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था. तब उसने बाकी चूजों से पूछा, कि-” इतनी उचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?” तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो!” बाज के बच्चे ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की. वो ज़िन्दगी भर चूजों की तरह रहा, और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया. दोस्तों , हममें से बहुत से लोग उस बाज की तरह ही अपना असली potential जाने बिना एक second-class ज़िन्दगी जीते रहते हैं, हमारे आस-पास की mediocrity हमें भी mediocre बना देती है...

बड़ा बनने के लिए बड़ा सोचो

अत्यंत गरीब परिवार का एक बेरोजगार युवक नौकरी की तलाश में किसी दूसरे शहर जाने के लिए रेलगाड़ी से सफ़र कर रहा था | घर में कभी-कभार ही सब्जी बनती थी, इसलिए उसने रास्ते में खाने के लिए सिर्फ रोटीयां ही रखी थी | आधा रास्ता गुजर जाने के बाद उसे भूख लगने लगी, और वह टिफिन में से रोटीयां निकाल कर खाने लगा | उसके खाने का तरीका कुछ अजीब था , वह रोटी का एक टुकड़ा लेता और उसे टिफिन के अन्दर कुछ ऐसे डालता मानो रोटी के साथ कुछ और भी खा रहा हो, जबकि उसके पास तो सिर्फ रोटीयां थीं!! उसकी इस हरकत को आस पास के और दूसरे यात्री देख कर हैरान हो रहे थे | वह युवक हर बार रोटी का एक टुकड़ा लेता और झूठमूठ का टिफिन में डालता और खाता | सभी सोच रहे थे कि आखिर वह युवक ऐसा क्यों कर रहा था | आखिरकार एक व्यक्ति से रहा नहीं गया और उसने उससे पूछ ही लिया की भैया तुम ऐसा क्यों कर रहे हो, तुम्हारे पास सब्जी तो है ही नहीं फिर रोटी के टुकड़े को हर बार खाली टिफिन में डालकर ऐसे खा रहे हो मानो उसमे सब्जी हो | तब उस युवक ने जवाब दिया, “भैया , इस खाली ढक्कन में सब्जी नहीं है लेकिन मै अपने मन में यह सोच कर खा रहा हू की इसमें बहुत स...

सबसे कीमती चीज

एक जाने-माने स्पीकर ने हाथ में पांच सौ का नोट लहराते हुए अपनी सेमीनार शुरू की. हाल में बैठे सैकड़ों लोगों से उसने पूछा ,” ये पांच सौ का नोट कौन लेना चाहता है?” हाथ उठना शुरू हो गए. फिर उसने कहा ,” मैं इस नोट को आपमें से किसी एक को दूंगा पर उससे पहले मुझे ये कर लेने दीजिये .” और उसने नोट को अपनी मुट्ठी में चिमोड़ना शुरू कर दिया. और फिर उसने पूछा,” कौन है जो अब भी यह नोट लेना चाहता है?” अभी भी लोगों के हाथ उठने शुरू हो गए. “अच्छा” उसने कहा,” अगर मैं ये कर दूं ? ” और उसने नोट को नीचे गिराकर पैरों से कुचलना शुरू कर दिया. उसने नोट उठाई , वह बिल्कुल चिमुड़ी और गन्दी हो गयी थी. ” क्या अभी भी कोई है जो इसे लेना चाहता है?”. और एक बार फिर हाथ उठने शुरू हो गए. ” दोस्तों , आप लोगों ने आज एक बहुत महत्त्वपूर्ण पाठ सीखा है. मैंने इस नोट के साथ इतना कुछ किया पर फिर भी आप इसे लेना चाहते थे क्योंकि ये सब होने के बावजूद नोट की कीमत घटी नहीं,उसका मूल्य अभी भी 500 था. जीवन में कई बार हम गिरते हैं, हारते हैं, हमारे लिए हुए निर्णय हमें मिटटी में मिला देते हैं. हमें ऐसा लगने लगता है कि हमारी कोई कीमत नहीं है...

प्रेरणा का स्रोत

एक बार एक राजा की सेवा से प्रसन्न होकर एक साधू नें उसे एक ताबीज दिया और कहा की राजन इसे अपने गले मे डाल लो और जिंदगी में कभी ऐसी परिस्थिति आये की जब तुम्हे लगे की बस अब तो सब ख़तम होने वाला है ,परेशानी के भंवर मे अपने को फंसा पाओ ,कोई प्रकाश की किरण नजर ना आ रही हो ,हर तरफ निराशा और हताशा हो तब तुम इस ताबीज को खोल कर इसमें रखे कागज़ को पढ़ना ,उससे पहले नहीं! राजा ने वह ताबीज अपने गले मे पहन लिया !एक बार राजा अपने सैनिकों के साथ शिकार करने घने जंगल मे गया! एक शेर का पीछा करते करते राजा अपने सैनिकों से अलग हो गया और दुश्मन राजा की सीमा मे प्रवेश कर गया,घना जंगल और सांझ का समय , तभी कुछ दुश्मन सैनिकों के घोड़ों की टापों की आवाज राजा को आई और उसने भी अपने घोड़े को एड लगाई, राजा आगे आगे दुश्मन सैनिक पीछे पीछे! बहुत दूर तक भागने पर भी राजा उन सैनिकों से पीछा नहीं छुडा पाया ! भूख प्यास से बेहाल राजा को तभी घने पेड़ों के बीच मे एक गुफा सी दिखी ,उसने तुरंत स्वयं और घोड़े को उस गुफा की आड़ मे छुपा लिया ! और सांस रोक कर बैठ गया , दुश्मन के घोड़ों के पैरों की आवाज धीरे धीरे पास आने लगी ! दुश्मनों...

धीरूभाई अम्बानी

धीरूभाई अम्बानी अमीर घरानों में मशहूर अम्बानी परिवार को भला इस दुनिया में कौन नहीं जानता। बड़े-बड़े उद्योगपतियों में अपना एक कद कायम करे वाले एक शख्स का नाम है ‘‘धीरूभाई अम्बानी‘‘। धीरूभाई अम्बानी का जन्म 28 दिसम्बर 1932 को चोरवाड़, जूनागढ़, गुजरात में हुआ। इनका पूरा नाम धीरजलाल हीरालाल अम्बानी है। लेकिन इन्हें सभी धीरूभाई अम्बानी के नाम से जानते हैं। इनके पिता का नाम हीरालाल अम्बानी और माता का नाम जमनाबेन अम्बानी है। इनकी पत्नि का नाम कोकिलाबेन है। धीरूभाई अम्बानी के पिता पेशे से एक अध्यापक थे। प्रारंभिक शिक्षा और बचपन धीरूभाई अम्बानी का बचपन अपने गांव चोरवाड़ में ही बीता, जो कि गुजरात में है। वहीं पर उनके माता-पिता ने उनका दाखिला एक विद्यालय में करवाया और वहीं से इनकी प्राथमिक शिक्षा पूर्ण हुई। धीरूभाई अम्बानी का परिवार आर्थिक संकट से ग्रसित था। बहुत से प्रयासों के बाद उनके माता-पिता ने उनकी परविश की और उन्हें विद्यालय में पढ़ने के लिए भेजा। धीरूभाई अम्बानी बचपन से ही मेहनती थे और अपनी मेहनत और लग्न से अपना हर काम अच्छा करते थे। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने से वो आगे नहीं पढ़...

सचिन तेंदुलकर

सचिन तेंदुलकर सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा सितारा जो God of Cricket माना जाता है। आज हम शेयर करेंगे महान बल्लेबाज Sachin Tendulkar Biography in Hindi. क्रिकेट इतिहास में सचिन तेंदुलकर एक ऐसा नाम है, जो हर क्रिकेट प्रेमी के दिल पर राज करता है। सचिन एकमात्र ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने सौ शतक को पूरा कर दुनिया के सामने नामुमकिन सा रिकॉर्ड रखकर एक नया इतिहास रच दिया। सचिन के Fans सचिन तेंदुलकर को ऐसे ही मास्टर ब्लास्टर नहीं कहते हैं। पूरी दुनिया के Cricket प्रेमी उन्हें God of Cricket के नाम से पहचानते है। "Sachin Tendulkar" ने क्रिकेट में महान बनने का सफर 15 साल की उम्र से शुरू किया था और आज वह दुनिया के एक महान क्रिकेटर शख्सियत के रूप में जाने जाते हैं। इस महान बल्लेबाज की जीवन पर आधारित एक फिल्म सचिन अ बिलियन ड्रीम्स बनाई गई है, जिसमें आप Sachin Tendulkar जीवन को करीब से देख सकते हैं। बचपन  सचिन तेंदुलकर का जन्म 24 अप्रैल 1973 मैं मुंबई शहर में हुआ। सचिन के पिता रमेश तेंदुलकर एक बेहतरीन novelist (लेखक) थे और सचिन की माता "रजनी तेंदुलकर" एक इंश्योरेंस कं...

Amitabh Bachchan

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अमिताभ बच्चन Amitabh Bachchan अमिताभ बच्चन हिंदी सिनेमा का एक ऐसा नाम है जिनके बिना हिन्दी सिनेमा अधुरा है | 80 के दशक से लोगो के दिलो पर राज करने वाले Angry Young Man से फिल्मो की शुरुवात से लेकर अब तक अलग अलग पात्रो के जरिये दर्शको को खूब लुभाया जिसके कारण उन्हें बॉलीवुड का शहंशाह कहा जाता है | वैसे कई फ़िल्मी कलाकार 60 की उम्र पार करने के बाद सिनेमा से दूर हो जाते है लेकिन उन्होंने सिनेमा को कभी नही छोड़ा और आज भी अपने दमदार अभिनय की बदौलत कई फिल्मो में उन्होंने उम्दा प्रदर्शन किया है | राजेश खन्ना के बाद बॉलीवुड का सुपरस्टार कहलाने वाले Amitabh Bachchan अमिताभ बच्चन का जादू आज भी लोगो के सिर चढकर बोल रहा है | अद्भुद व्यक्तित्व ,जानदार आवाज , चेहरे पर तेज उन सब गुणों के कारण Amitabh Bachchan अमिताभ बच्चन आज भी लोगो के दिलो पर राज कर रहे है | आइये आज हम आपको आज उसी शताब्दी पुरुष Amitabh Bachchan अमिताभ बच्चन की सम्पूर्ण जीवनी से रूबरू करवाते है                    अमिताभ बच्चन का प्रारम्भिक जीवन  Amitabh Bachchan अमिताभ बच्...

रतन टाटा

रतन टाटा रतन टाटा एक भारतीय उद्योगपति, निवेशक, परोपकारी और टाटा सन्स के अवकाशप्राप्त अध्यक्ष है। रतन टाटा 1991 से 2012 तक मिश्र टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रह चुके है। उन्होंने 28 दिसंबर 2012 को अपने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद को छोड़ा, लेकिन रतन टाटा “टाटा ग्रुप” के समाजसेवी संस्थाओ के अध्यक्ष आज भी है। आज टाटा ग्रुप का 65% मुनाफा विदेशो से आता है। 1990 में उदारीकरण के बाद टाटा ग्रुप ने विशाल सफलता हासिल की, इसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ रतन टाटा को ही जाता है। रतन टाटा की प्रेरणादायक जीवनी रतन टाटा नवल टाटा के पुत्र है। जिन्हें नवाजबाई टाटा ने अपने पति की मृत्यु के बाद दत्तक ले लिया था। रतन टाटा के माता-पिता नवल और सोनू 1940 के मध्य में अलग हूए। अलग होते समय रतन 10 साल के और उनके छोटे भाई सिर्फ 7 साल के ही थे। उन्हें और उनके छोटे भाई, दोनों को उनकी बड़ी माँ नवाईबाई टाटा ने बड़ा किया था। कैंपियन स्कूल, मुम्बई से ही रतन टाटा ने स्कूल जाना शुरू किया और कैथेड्रल में ही अपनी माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की और जॉन केनौन स्कूल में दाखिल हुए। वही वास्तुकला में उन्होंने अपनी B.Sc की शिक्षा पूरी की। साथ ही कॉर्न...

श्रीनिवास रामानुजन्

श्रीनिवास रामानुजन् श्रीनिवास रामानुजन् इयंगर एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। उन्हें आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है। उन्हें गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला, फिर भी उन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिये। उन्होंने गणित के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण प्रयोग किये थे जो आज भी उपयोग किये जाते है। उनके प्रयोगों को उस समय जल्द ही भारतीय गणितज्ञो ने मान्यता दे दी थी। जब उनका हुनर ज्यादातर गणितज्ञो के समुदाय को दिखाई देने लगा। तब उन्होंने इंग्लिश गणितज्ञ जी.एच्. हार्डी से भागीदारी कर ली। उन्होंने पुराने प्रचलित थ्योरम की पुनः खोज की ताकि उसमे कुछ बदलाव करके नया थ्योरम बना सके। श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan ज्यादा उम्र तक तो जी नही पाये लेकिन अपने छोटे जीवन में ही उन्होंने लगभग 3900 के आस-पास प्रमेयों का संकलन कीया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किये जा चुके है। और उनके अधिकांश प्रमेय लोग जानते है। उनके बहोत से परीणाम जैसे की रामानुजन प्राइम और रामानुजन थीटा बहोत प्रसिद्ध है। यह उनके महत्वपूर्ण प्रमेयों में से एक है। उनक...

स्टीव जॉब्स

स्टीव जॉब्स आज कंप्युटर और मोबाईल फोन प्रयोग करने वाला शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो के संस्थापक Steve Jobs को नहीं जानता होगा। उनके द्वारा बनाए गए आईफोन और आईपैड सीरीज़ के स्मार्ट फोनस् ने मोबाईल प्रौद्योगिकी में क्रांति ला दी है। स्वयं को टेकनोलॉजी में simplicity और ease of use जैसे सिद्धांतों के प्रति समर्पित करते हुए उन्होंने कंप्युटर और मोबाईल जैसी जटिल टेक्नोलॉजी को आम लोगों के पहुँच में ला दिया। लीक से हटकर सोचना तथा तकनीक को नये रूप में परिभाषित करना, उनके प्रबल व्यक्तित्व की विशेषताएँ थी। लेकिन स्वयं स्टीव जॉब्स के लिए उनकी जिंदगी कभी आसान नहीं रही। उनका प्रारंभिक जीवन काफी भ्रम और उथल-पुथल से भरा हुआ था तथा उस मुकाम पे जिस रूप उन्हें हम जानते है, उन्हें वहाँ पहुंचने में काफी कठिन रास्तों और समस्याओं का सामना करना पड़ा। उनकी जीवन की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिसने जिंदगी हमेशा अपने शर्तों पर जी और सदैव दुनियाँ को सबसे उत्कृष्ट तकनीक देने की कोशिश की।  प्रारंभिक जीवन और कैरियर Steve Jobs का जन्म 24 फरवरी, 1955 में सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में हुआ था। उनका...